नही है चाहत मुझे पूरे आसमां की मां
तेरे आंचल में ही मेरा पूरा जहां है
हैं लाख कमियां मुझमें ओ और बात सही
लब्ज़ बता नहीं सकते कि तेरा औदा कहां है ।
तेरे बेटे की ख्वाहिशें बदल सी गई हैं
थकान की नही ये अनुभव की जुबां है
मैं कर लूं लाख कोशिश रिश्ते निभाने की
अफ़सोस ओ तुझसा हुनर मुझमें कहां है
थक हर के उठता हूं, फिर गिर जाता हूं
ये उलझे रिश्ते अब सुलझते कहां हैं!!
इक बात कहनी थी बड़ा बेचैन हूं प्यारी मां
तू रूठती है तो हम तुझे मनाते कहां हैं ?
पर ये बात तो तेरी और मेरी है भोली मां
इतने गहरे रिश्ते अब होते कहां हैं !!!!!!
ये उलझे रिश्ते अब सुलझते कहां है!!
पर ये बात तो तेरी और मेरी है भोली मां
इतने गहरे रिश्ते अब होते कहां हैं !!!!!!