क्या कहूं अपने बारे में 'हाफ़िज़', जो हर जुबां पे रहे बस वो नाम मेरा है
नही है चाहत मुझे पूरे आसमां की मां
तेरे आंचल में ही मेरा पूरा जहां है
हैं लाख कमियां मुझमें ओ और बात सही 
सब कुछ कह देती हैं ये आँखें बेजुबान हैं मगर....... अपनों को देख कर, उनके चेहरे की मुस्कान देखकर चमक उठती
क्यूं निराश है आश भला मुझको समझाओ ?
घुट घुट के जीने का राज बताओ ?
आत्मस्वाभिमान जैसी चीज क्या होती ?
चल
मैं हूं एहसान का मारा कुत्ता
मैं हूं गली का आवारा कुत्ता ,
भूख प्यास का पता नहीं
हम गली गली में बागें
नहीं हूं खास कोई मै नहीं हूं राज कोई मै नहीं हूं आज कोई मै बता आखिर मैं हूं क्या? नहीं हूं इश्क तेरा मै