ये बेजुबान आँखें 

ये बेजुबान आँखें 

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सब कुछ कह देती हैं ये आँखें 
बेजुबान हैं मगर.......
अपनों को देख कर, 
उनके चेहरे की मुस्कान देखकर
चमक उठती हैं
कुछ नया देखकर बेताब ,
परेशान और सवाल करती हैं
कुछ पुराना देखकर महसूस ,
सुकून और जवाब देती हैं
अगर कोई अपना कहीं खो जाए ,
या उसपे कोई परेशानी आ जाए ,
पागलों सी भटकती रहती हैं
उसकी तलाश में ,उसके हल में
कोई दर्द हो ,
सब कुछ खोने का डर हो
बिना आवाज किए बहती रहती हैं
ये बेजुबान आंखे
 इन्हे कोई क्यूं नहीं पढ़ता 
 उस बहते आंसू 
 जो सारी खुशियां समेटे बहा जा रहा 
कोई क्यूं नहीं रोकता ???
ये बेजुबान आंखे .........!!!!!

Satyam pandey

क्या कहूं अपने बारे में 'हाफ़िज़', जो हर जुबां पे रहे बस वो नाम मेरा है

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